सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें By Sher << उस्ताद के एहसान का कर शुक... वो खड़ा है एक बाब-ए-इल्म ... >> सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत Share on: