सब्ज़ा-ज़ारों की शराफ़त से न खेलो क़तअन By Sher << सफ़ेद-पोशी-ए-दिल का भरम भ... शोहरत की फ़ज़ाओं में इतना... >> सब्ज़ा-ज़ारों की शराफ़त से न खेलो क़तअन तुम हवा हो तो ख़लाओं से लिपट कर देखो Share on: