सदा-बहार हो तुम और मेरी क़िस्मत हो By Sher << वो अर्ज़-ए-ग़म पे मिरी उन... अब किसी में अगले वक़्तों ... >> सदा-बहार हो तुम और मेरी क़िस्मत हो कोई बहार न थी इस बहार से पहले Share on: