साफ़ क्या हो सोहबत-ए-ज़ाहिर से बातिन का ग़ुबार By Sher << जब भी अड़ जाते हैं हर हाल... रोता हूँ मैं तसव्वुर-ए-ज़... >> साफ़ क्या हो सोहबत-ए-ज़ाहिर से बातिन का ग़ुबार मुँह नज़र आता नहीं आईना-ए-तस्वीर में Share on: