'सैफ़' पी कर भी तिश्नगी न गई By Sher << हम लबों से कह न पाए उन से... हज़ारों शेर मेरे सो गए का... >> 'सैफ़' पी कर भी तिश्नगी न गई अब के बरसात और ही कुछ थी Share on: