सैकड़ों और भी दुनिया में ज़बानें हैं मगर By Sher << सज्दा हो बे-ख़ुलूस तो सज्... सबब हर एक मुझ से पूछता है... >> सैकड़ों और भी दुनिया में ज़बानें हैं मगर जिस पे मरती है फ़साहत वो ज़बाँ है उर्दू Share on: