शाख़ से टूट के पत्ते ने ये दिल में सोचा By Sher << तसव्वुर के सहारे यूँ शब-ए... सालिक है गरचे सैर-ए-मक़ाम... >> शाख़ से टूट के पत्ते ने ये दिल में सोचा कौन इस तरह भला माइल-ए-हिजरत होगा Share on: