ये इंतिहा-ए-मसर्रत का शहर है 'सरवत' By Sher << रखता नहीं है दश्त सरोकार ... कितनी दिल-कश हैं तिरी तस्... >> ये इंतिहा-ए-मसर्रत का शहर है 'सरवत' यहाँ तो हर दर-ओ-दीवार इक समुंदर है Share on: