सौ बार बंद-ए-इश्क़ से आज़ाद हम हुए By Sher << कम है कुछ कुंदन से क्या च... टपकते हैं शब-ए-ग़म दिल के... >> सौ बार बंद-ए-इश्क़ से आज़ाद हम हुए पर क्या करें कि दिल ही अदू है फ़राग़ का Share on: