शर्बत का घूँट जान के पीता हूँ ख़ून-ए-दिल By Sher << इश्क़ गोरे हुस्न का आशिक़... गुल हुए ग़र्क़ आब-ए-शबनम ... >> शर्बत का घूँट जान के पीता हूँ ख़ून-ए-दिल ग़म खाते खाते मुँह का मज़ा तक बिगड़ गया Share on: