सितारा-ए-ख़्वाब से भी बढ़ कर ये कौन बे-मेहर है कि जिस ने By Sher << गिरजा में मंदिरों में अज़... क्यूँ उजड़ जाती है दिल की... >> सितारा-ए-ख़्वाब से भी बढ़ कर ये कौन बे-मेहर है कि जिस ने चराग़ और आइने को अपने वजूद का राज़-दाँ किया है Share on: