सियाही फेरती जाती हैं रातें बहर ओ बर पे By Sher << न जाने क़ैद में हूँ या हि... जीने वाले क़ज़ा से डरते ह... >> सियाही फेरती जाती हैं रातें बहर ओ बर पे इन्ही तारीकियों से मुझ को भी हिस्सा मिलेगा Share on: