सुर्ख़ियाँ अख़बार की गलियों में ग़ुल करती रहीं By Sher << तुम अपने चाँद तारे कहकशाँ... सुख़न के कुछ तो गुहर मैं ... >> सुर्ख़ियाँ अख़बार की गलियों में ग़ुल करती रहीं लोग अपने बंद कमरों में पड़े सोते रहे Share on: