तभी वहीं मुझे उस की हँसी सुनाई पड़ी By Sher << तमाम पैकर-ए-बदसूरती है मर... शुस्ता ज़बाँ शगुफ़्ता बया... >> तभी वहीं मुझे उस की हँसी सुनाई पड़ी मैं उस की याद में पलकें भिगोने वाला था Share on: