थी नींद मेरी मगर उस में ख़्वाब उस का था By Sher << इन की मिज़ा है काबा-ए-अबर... ज़ुलेख़ा के वक़ार-ए-इश्क़... >> थी नींद मेरी मगर उस में ख़्वाब उस का था बदन मिरा था बदन में अज़ाब उस का था Share on: