तिरे ख़िलाफ़ किया जब भी एहतिजाज ऐ दोस्त By Sher << हम आए रोज़ नया ख़्वाब देख... हर शख़्स को फ़रेब-ए-नज़र ... >> तिरे ख़िलाफ़ किया जब भी एहतिजाज ऐ दोस्त मिरा वजूद भी शामिल नहीं हुआ मिरे साथ Share on: