तो ही ज़ाहिर है तू ही बातिन है By तसव्वुफ़, Sher << सुबू-ए-फ़लसफ़ा-ए-इशक़-ओ-क... पलकों पे ग़म-ए-हिज्र के स... >> तो ही ज़ाहिर है तू ही बातिन है तू ही तू है तो मैं कहाँ तक हूँ Share on: