तुम्हारे दर्द से जागे तो उन की क़द्र खुली By Sher << बनाते हैं हज़ारों ज़ख़्म-... ऐ 'नक़्श' कर रहा ... >> तुम्हारे दर्द से जागे तो उन की क़द्र खुली वगरना पहले भी अपने थे जिस्म-ओ-जान वही Share on: