उफ़ वो आँखें मरते दम तक जो रही हैं अश्क-बार By Sher << बुलबुल ग़ज़ल-सराई आगे हमा... सुख़न-वरी का बहाना बनाता ... >> उफ़ वो आँखें मरते दम तक जो रही हैं अश्क-बार हाए वो लब उम्र भर जिन पर हँसी देखी नहीं Share on: