ऊँचे नीचे घर थे बस्ती में बहुत By Sher << उस के ख़त रात भर यूँ पढ़त... शायद क़ज़ा ने मुझ को ख़ज़... >> ऊँचे नीचे घर थे बस्ती में बहुत ज़लज़ले ने सब बराबर कर दिए Share on: