उस को पता नहीं है ख़िज़ाँ के मिज़ाज का By Sher << अब्र-ए-बहार अब भी जचता नह... है ये उम्मीद मिरे ख़्वाब ... >> उस को पता नहीं है ख़िज़ाँ के मिज़ाज का वो वाक़िफ़-ए-बहार हुआ है अभी अभी Share on: