वो चेहरा मुझे साफ़ दिखाई नहीं देता By Sher << कभी तो शाम ढले अपने घर गए... मस्जिद तो बना दी शब भर मे... >> वो चेहरा मुझे साफ़ दिखाई नहीं देता रह जाती हैं सायों में उलझ कर मिरी आँखें Share on: