वो जितने दूर खिंचते हैं तअल्लुक़ और बढ़ता है By Sher << कोई दस्तक कोई आहट न सदा ह... इक लहर है कि मुझ में उछलन... >> वो जितने दूर खिंचते हैं तअल्लुक़ और बढ़ता है नज़र से वो जो पिन्हाँ हैं तो दिल में हैं अयाँ क्या-क्या Share on: