वो जिन की हिजरतों के आज भी कुछ दाग़ रौशन हैं By Sher << हम दहर के इस वीराने में ज... क़लंदरी मिरी पूछो हो दोस्... >> वो जिन की हिजरतों के आज भी कुछ दाग़ रौशन हैं उन्ही बिछड़े परिंदों को शजर वापस बुलाता है Share on: