याद-ए-माज़ी की पुर-असरार हसीं गलियों में By Sher << यादों के दरख़्तों की हसीं... वफ़ा की प्यार की ग़म की क... >> याद-ए-माज़ी की पुर-असरार हसीं गलियों में मेरे हमराह अभी घूम रहा है कोई Share on: