या-रब ज़माना मुझ को मिटाता है किस लिए By Sher << कुछ शेर-ओ-शायरी से नहीं म... वो चाँदनी में फिरते हैं घ... >> या-रब ज़माना मुझ को मिटाता है किस लिए लौह-ए-जहाँ पे हर्फ़-ए-मुकर्रर नहीं हूँ मैं Share on: