ये क़ैस-ओ-कोहकन के से फ़साने बन गए कितने By Sher << लोग ज़िंदा नज़र आते थे मग... पड़ी रहने दो इंसानों की ल... >> ये क़ैस-ओ-कोहकन के से फ़साने बन गए कितने किसी ने टुकड़े कर के सब हमारी दास्ताँ रख दी Share on: