ये सुब्ह की सफ़ेदियाँ ये दोपहर की ज़र्दियाँ By Sher << यूँ तो हर शख़्स अकेला है ... ये हक़ीक़त है कि अहबाब को... >> ये सुब्ह की सफ़ेदियाँ ये दोपहर की ज़र्दियाँ अब आईने में देखता हूँ मैं कहाँ चला गया Share on: