यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता By Sher << कहते थे हम न देख सकें रोज... शोलों से बे-कार डराते हो ... >> यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता कोई एहसास तो दरिया की अना का होता Share on: