यूँ गुज़रते हैं हिज्र के लम्हे By Sher << उस तरफ़ उठते नहीं हाथ जिध... हमारे दौर में दिल भी है छ... >> यूँ गुज़रते हैं हिज्र के लम्हे जैसे वो बात करते जाते हैं Share on: