यूँ तो क़दम क़दम पे ख़ुदा सैंकड़ों मिले By Sher << ज़ब्त-ए-ग़म का मिरे अंदाज... उस ने हाथों की लकीरों से ... >> यूँ तो क़दम क़दम पे ख़ुदा सैंकड़ों मिले बंदा न मिल सका कोई बंदों के शहर में Share on: