ज़र्द पत्ते में कोई नुक़्ता-ए-सब्ज़ By Sher << उस शहर में कितने चेहरे थे... हर समुंदर का एक साहिल है >> ज़र्द पत्ते में कोई नुक़्ता-ए-सब्ज़ अपने होने का पता काफ़ी है Share on: