नहीं है फ़ुर्सत यहीं के झगड़ों से फ़िक्र-ए-उक़्बा कहाँ की वाइ'ज़ By Sher << ख़ून-ए-जिगर आँखों से बहाय... छेड़ कर जैसे गुज़र जाती ह... >> नहीं है फ़ुर्सत यहीं के झगड़ों से फ़िक्र-ए-उक़्बा कहाँ की वाइ'ज़ अज़ाब-ए-दुनिया है हम को क्या कम सवाब हम ले के क्या करेंगे Share on: