ज़िन्दगी हूँ तो सनम एतबार से डर कैसा ! ज़माना कुछ भी सोचे दीदार से डर Admin शायरी ज़िन्दगी पर, इश्क << नर्म नाजुक किसी मखमल की त... जिंदगी तो वैसे ही नाराज थ... >> ज़िन्दगी हूँ तो सनम एतबार से डर कैसा !ज़माना कुछ भी सोचे दीदार से डर कैसा !!बहोत होगा तो बस जान ही लेगी दुनिया !मोहब्बत है तो फिर इजहार से डर कैसा !! Share on: