नर्म नाजुक किसी मखमल की तरह Admin शायरी काजल पर, इश्क << गमों की मुझ पर कुछ ऐसी नज... ज़िन्दगी हूँ तो सनम एतबार... >> नर्म नाजुक किसी मखमल की तरह ,इधर उधर फिरते हुए बादल की तरह ,,आँखों में बसाया है तो रखना संभाल कर ,कहीं बह न जाऊँ मैं काजल की तरह ,, Share on: