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उसके आने की खुसबू जब फिज़ाओं में महकती है,तो बुझती आग में भी चिंगारी दहकती है !तड़पते हैं हम दिन-रात जिसकी चाहत में,वो बेदर्द रूह हमारी हर आह पे हँसती है !सुनले जो रब कभी तो बस इक दुआ है दिल से,दिखादे ऐसा दिन जब वो भी कहें हमसे-"उसकी खूबसूरती सिर्फ मेरी नज़रों को तरसती है