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तुम्हें याद करने को तरस सा गया हूंइस दुनिया में मैं इतना उलझ सा गया हूंमरने के बाद मुझको आग मत लगानाकि जीवन की चिता में झुलस सा गया हूंआईने में दिखता है टूटा सा अक्स अपनाजख्मों की चोट खाकर यूं चटक सा गया हूंअब कैसे संभालू मैं अपने जिगर के टुकड़ेअपने ही दिल में देखो बिखर सा गया हूं