दोहरे चरित्र में नहीं जी पाता हूँ Admin अकेला पर शायरी, दर्द << मौत तो यूं ही बदनाम है दर... मैं खुद भी अपने लिए अजनबी... >> दोहरे चरित्र में नहीं जी पाता हूँ, इसलिए कई बार अकेला नजर आता हूँ. Share on: