यारों कुछ तो जिक्र करो यारों पर शायरी, दर्द << मत पुछो कि मेरा कारोबार क... महफ़िल में गले मिल के >> यारों कुछ तो जिक्र करो, उनकी क़यामत बाहों का,जो सिमटते होंगें उनमे, वो तो मर जाते होंगे! Share on: