मुझ को शिकस्त-ए-दिल का मज़ा याद आ गया Admin यादें << दी क़सम वस्ल में उस बुत क... गुज़र जाते हैं खूबसूरत लम... >> मुझ को शिकस्त-ए-दिल का मज़ा याद आ गया,तुम क्यों उदास हो गए तुम्हें क्या याद आ गयाकहने को ज़िन्दगी थी बहुत मुख़्तसर मगर,कुछ यूँ बसर हुई कि ख़ुदा याद आ गया। Share on: