इश्तिराकियत

Shayari By

वो अपने घर का तमाम ज़रूरी सामान एक ट्रक में लदवा कर दूसरे शहर जा रहा था कि रास्ते में लोगों ने उसे रोक लिया।
एक ने ट्रक के माल-ओ-अस्बाब पर हरीसाना नज़र डालते हुए कहा, “देखो यार किस मज़े से इतना माल अकेला उड़ाए चला जा रहा था।”

अस्बाब के मालिक ने मुस्कुरा कर कहा, “जनाब ये माल मेरा अपना है।”
दो तीन आदमी हंसे, “हम सब जानते हैं।” [...]

उलहना

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“देखो यार। तुम ने ब्लैक मार्केट के दाम भी लिए और ऐसा रद्दी पेट्रोल दिया कि एक दुकान भी न जली।”


सॉरी

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छुरी पेट चाक करती हुई नाफ़ के नीचे तक चली गई।
इज़ार-बंद कट गया।

छुरी मारने वाले के मुँह से दफ़्अतन कलमा-ए-तास्सुफ़ निकला,
“चे चे चे चे… मिश्टेक हो गया।” [...]

हैवानियत

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बड़ी मुश्किल से मियाँ-बीवी घर का थोड़ा असासा बचाने में कामयाब हुए। जवान लड़की थी, उसका कोई पता न चला। छोटी सी बच्ची थी उसको माँ ने अपने सीने के साथ चिमटाये रखा। एक भूरी भैंस थी उसको बलवाई हाँक कर ले गए। गाय बच गई मगर उसका बछड़ा न मिला।
मियाँ-बीवी, उनकी छोटी लड़की और गाय एक जगह छुपे हुए थे। सख़्त अंधेरी रात थी। बच्ची ने डर के रोना शुरू किया। ख़ामोश फ़ज़ा में जैसे कोई ढोल पीटने लगा। माँ ने ख़ौफ़-ज़दा हो कर बच्ची के मुँह पर हाथ रख दिया। कि दुश्मन सुन न ले। आवाज़ दब गई। बाप ने एहतियातन ऊपर गाढ़े की मोटी चादर डाल दी।

थोड़ी देर के बाद दूर से किसी बछड़े की आवाज़ आई। गाय के कान खड़े हुए। उठी और इधर उधर दीवानावार दौड़ती डकारने लगी। उसको चुप कराने की बहुत कोशिश की गई मगर बे-सूद।
शोर सुन कर दुश्मन आ पहुँचा। दूर से मशा'लों की रौशनी दिखाई। बीवी ने अपने मियाँ से बड़े ग़ुस्से के साथ कहा, “तुम क्यूँ उस हैवान को अपने साथ ले आए थे।” [...]

निगरानी में

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'अ' अपने दोस्त 'ब' को अपना हम-मज़हब ज़ाहिर करके उसे महफ़ूज़ मक़ाम पर पहुंचाने के लिए मिल्ट्री के एक दस्ते के साथ रवाना हुआ।
रास्ते में 'ब' ने जिसका मज़हब मस्लिहतन बदल दिया गया था। मिल्ट्री वालों से पूछा,

“क्यूँ जनाब आस पास कोई वारदात तो नहीं हुई?”
जवाब मिला, “कोई ख़ास नहीं… फ़लां मोहल्ले में अलबत्ता एक कुत्ता मारा गया।” [...]

सफ़ाई पसंदी

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गाड़ी रुकी हुई थी। तीन बंदूक़्ची एक डिब्बे के पास आए।
खिड़कियों में से अंदर झांक कर उन्हों ने मुसाफ़िरों से पूछा,

“क्यूँ जनाब कोई मुर्ग़ा है।”
एक मुसाफ़िर कुछ कहते कहते रुक गया। बाक़ियों ने जवाब दिया, [...]

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