शफ़क़त दोपहर को दफ़्तर से आया तो घर में मेहमान आए हुए थे। औरतें थीं जो बड़े कमरे में बैठी थीं। शफ़क़त की बीवी आयशा उनकी मेहमान नवाज़ी में मसरूफ़ थी। जब शफ़क़त सहन में दाख़िल हुआ तो उसकी बीवी बाहर निकली और कहने लगी, “अज़ीज़ साहब की बीवी और उनकी लड़कियाँ आई हैं।” शफ़क़त ने हैट उतार कर माथे का पसीना पोंछा, “कौन अज़ीज़ साहब?” आयशा ने आवाज़ दबा कर जवाब दिया, “हाय, आपके अब्बा जी के दोस्त”। “ओह…अज़ीज़ चचा।”
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