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क़ैदख़ाना

अबे ओ राम लाल, ठहर तो सही। हम भी आ रहे हैं। ...

अहमद-अली

सुना है आलम-ए-बाला में कोई कीमिया-गर था

फिर शाम का अंधेरा छा गया। किसी दूर दराज़ की सरज़मीन से, न जाने कहाँ से मेरे कानों में एक दबी हुई सी, छुपी हुई आवाज़ आहिस्ता-आहिस्ता गा रही थी, ...

क़ुर्रतुलऐन-हैदर

दीवार याद आ गई दर याद आ गया

दीवार याद आ गई दर याद आ गया ...

ajmal-siraj

पानी में कंकर बरसाया करते थे

पानी में कंकर बरसाया करते थे ...

saurabh-shekhar

न मीनार महलों की शौकत बचेगी

न मीनार महलों की शौकत बचेगी ...

aarush-sarkaar

बाँझ

मेरी और उसकी मुलाक़ात आज से ठीक दो बरस पहले अपोलोबंदर पर हुई। शाम का वक़्त था, सूरज की आख़िरी किरनें समुंदर की उन दराज़ लहरों के पीछे ग़ायब हो चुकी थी जो...

सआदत-हसन-मंटो

साकिन है कोई और वतन और किसी का

साकिन है कोई और वतन और किसी का ...

abdul-wahab-sukhan

साकिन है कोई और वतन और किसी का

साकिन है कोई और वतन और किसी का ...

abdul-wahab-sukhan

यक दस्त-ए-फ़ितना बरपा हम ने जहाँ में देखा

यक दस्त-ए-फ़ितना बरपा हम ने जहाँ में देखा ...

abdul-rahman-ehsan-dehlvi

यक दस्त-ए-फ़ितना बरपा हम ने जहाँ में देखा

यक दस्त-ए-फ़ितना बरपा हम ने जहाँ में देखा ...

abdul-rahman-ehsan-dehlvi

तुम्हारे क़द से हैं क़ाएम क़यामतें क्या क्या

तुम्हारे क़द से हैं क़ाएम क़यामतें क्या क्या ...

abdul-rahman-ehsan-dehlvi

म्याँ क्या हो गर अबरू-ए-ख़मदार को देखा

म्याँ क्या हो गर अबरू-ए-ख़मदार को देखा ...

abdul-rahman-ehsan-dehlvi

कुछ तौर नहीं बचने का ज़िन्हार हमारा

कुछ तौर नहीं बचने का ज़िन्हार हमारा ...

abdul-rahman-ehsan-dehlvi

कुछ तौर नहीं बचने का ज़िन्हार हमारा

कुछ तौर नहीं बचने का ज़िन्हार हमारा ...

abdul-rahman-ehsan-dehlvi

किस से अहवाल कहूँ अपना मैं ऐ यार कि तू

किस से अहवाल कहूँ अपना मैं ऐ यार कि तू ...

abdul-rahman-ehsan-dehlvi

किस से अहवाल कहूँ अपना मैं ऐ यार कि तू

किस से अहवाल कहूँ अपना मैं ऐ यार कि तू ...

abdul-rahman-ehsan-dehlvi

दिलबर ये वो है जिस ने दिल को दग़ा दिया है

दिलबर ये वो है जिस ने दिल को दग़ा दिया है ...

abdul-rahman-ehsan-dehlvi

आँखों में मुरव्वत तिरी ऐ यार कहाँ है

आँखों में मुरव्वत तिरी ऐ यार कहाँ है ...

abdul-rahman-ehsan-dehlvi

आँखों में मुरव्वत तिरी ऐ यार कहाँ है

आँखों में मुरव्वत तिरी ऐ यार कहाँ है ...

abdul-rahman-ehsan-dehlvi

आदमी का

ग़म-ए-मुसलसल की इस तपिश में कि जिस्म जल जाए आदमी का ...

ghaus-khah-makhah-hyderabadi
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