सभी हिंदी शायरी
सुना है आलम-ए-बाला में कोई कीमिया-गर था
फिर शाम का अंधेरा छा गया। किसी दूर दराज़ की सरज़मीन से, न जाने कहाँ से मेरे कानों में एक दबी हुई सी, छुपी हुई आवाज़ आहिस्ता-आहिस्ता गा रही थी, ...
बाँझ
मेरी और उसकी मुलाक़ात आज से ठीक दो बरस पहले अपोलोबंदर पर हुई। शाम का वक़्त था, सूरज की आख़िरी किरनें समुंदर की उन दराज़ लहरों के पीछे ग़ायब हो चुकी थी जो...
यक दस्त-ए-फ़ितना बरपा हम ने जहाँ में देखा
यक दस्त-ए-फ़ितना बरपा हम ने जहाँ में देखा ...
यक दस्त-ए-फ़ितना बरपा हम ने जहाँ में देखा
यक दस्त-ए-फ़ितना बरपा हम ने जहाँ में देखा ...
तुम्हारे क़द से हैं क़ाएम क़यामतें क्या क्या
तुम्हारे क़द से हैं क़ाएम क़यामतें क्या क्या ...
म्याँ क्या हो गर अबरू-ए-ख़मदार को देखा
म्याँ क्या हो गर अबरू-ए-ख़मदार को देखा ...
किस से अहवाल कहूँ अपना मैं ऐ यार कि तू
किस से अहवाल कहूँ अपना मैं ऐ यार कि तू ...
किस से अहवाल कहूँ अपना मैं ऐ यार कि तू
किस से अहवाल कहूँ अपना मैं ऐ यार कि तू ...
दिलबर ये वो है जिस ने दिल को दग़ा दिया है
दिलबर ये वो है जिस ने दिल को दग़ा दिया है ...
आँखों में मुरव्वत तिरी ऐ यार कहाँ है
आँखों में मुरव्वत तिरी ऐ यार कहाँ है ...
आँखों में मुरव्वत तिरी ऐ यार कहाँ है
आँखों में मुरव्वत तिरी ऐ यार कहाँ है ...