सभी हिंदी शायरी
वो मिला तो हुस्न के वो सारे पैकर मिल गए
वो मिला तो हुस्न के वो सारे पैकर मिल गए ...
तुम्हारा ऐसे घर जाना बहुत तकलीफ़ देता है
तुम्हारा ऐसे घर जाना बहुत तकलीफ़ देता है ...
मोहब्बत मेरे जीने का सहारा हो तो अच्छा है
मोहब्बत मेरे जीने का सहारा हो तो अच्छा है ...
किस को है वक़्त कि पूछे वो हक़ीक़त तेरी
किस को है वक़्त कि पूछे वो हक़ीक़त तेरी ...
ख़ुद-ग़र्ज़ हो के अपनों के ग़म-ख़्वार ही रहो
ख़ुद-ग़र्ज़ हो के अपनों के ग़म-ख़्वार ही रहो ...
हर मोड़ पे जो बनते हैं हुशियार बार-बार
हर मोड़ पे जो बनते हैं हुशियार बार-बार ...
बना के ख़ुद को मोहब्बत में बा-वफ़ा रखिए
बना के ख़ुद को मोहब्बत में बा-वफ़ा रखिए ...
बर्फ़बारी से पहले
“आज रात तो यक़ीनन बर्फ़ पड़ेगी”, साहिब-ए-ख़ाना ने कहा। सब आतिश-दान के और क़रीब हो के बैठ गए। आतिश-दान पर रखी हुई घड़ी अपनी मुतवाज़िन यकसानियत के साथ टक-टक ...
मम्मद भाई
फ़ारस रोड से आप उस तरफ़ गली में चले जाइए जो सफ़ेद गली कहलाती है तो उसके आख़िरी सिरे पर आपको चंद होटल मिलेंगे। यूँ तो बंबई में क़दम क़दम पर होटल और रेस्तोर...
खुली जब आँख तो देखा कि था बाज़ार का हल्क़ा
खुली जब आँख तो देखा कि था बाज़ार का हल्क़ा ...
آسماں بھی ہے ستم ایجاد کیا!
جولائی ۴۴ء کی ایک ابر آلود سہ پہر جب وادیوں اور مکانوں کی سرخ چھتوں پر گہرا نیلا کہرا چھایا ہوا تھا اور پہاڑ کی چوٹیوں پر تیرتے ہوئے بادل برآمدوں کے...
स्वराज के लिए
मुझे सन् याद नहीं रहा लेकिन वही दिन थे। जब अमृतसर में हर तरफ़ “इन्क़लाब ज़िंदाबाद” के नारे गूंजते थे। उन नारों में, मुझे अच्छी तरह याद है, एक अ’जीब क़िस...
ये ग़ाज़ी ये तेरे पुर-अस्रार बन्दे
ट्रेन मग़रिबी जर्मनी की सरहद में दाख़िल हो चुकी थी। हद-ए-नज़र तक लाला के तख़्ते लहलहा रहे थे। देहात की शफ़्फ़ाफ़ सड़कों पर से कारें ज़न्नाटे से गुज़रती जाती थ...
डालन वाला
हर तीसरे दिन, सह-पहर के वक़्त एक बेहद दुबला पुतला बूढ़ा, घुसे और जगह-जगह से चमकते हुए सियाह कोट पतलून में मलबूस, सियाह गोल टोपी ओढ़े, पतली कमानी वाली छो...
मेरा नाम राधा है
ये उस ज़माने का ज़िक्र है जब इस जंग का नाम-ओ-निशान भी नहीं था। ग़ालिबन आठ नौ बरस पहले की बात है जब ज़िंदगी में हंगामे बड़े सलीक़े से आते थे। आज कल की तरह न...