आए न लब पे हर्फ़-ए-शिकायत ख़ुदा करे फूले फले हमारी मोहब्बत ख़ुदा करे है आरज़ू कि हो न मयस्सर शिफ़ा मुझे आते रहें वो बहर-ए-अयादत ख़ुदा करे सब कुछ ये रौनक़ें हैं उन्ही के क़ुदूम की हर इक को हो नसीब ज़ियारत ख़ुदा करे वो आ गए हैं जज़्बा-ए-लुत्फ़-ओ-करम के साथ हो जाए मेरा ख़्वाब हक़ीक़त ख़ुदा करे साक़ी ने आज फ़र्क़-ए-मरातिब मिटा दिया जागे शराब-ख़ाने की क़िस्मत ख़ुदा करे इफ़रात-ए-माल-ओ-ज़र तो है 'क़ासिद' वबाल-ए-जाँ हाथ आए मुझ को हस्ब-ए-ज़रूरत ख़ुदा करे