आग़ाज़ हुआ है उल्फ़त का अब देखिए क्या क्या होना है या सारी उम्र की राहत है या सारी उम्र का रोना है शायद था बयाज़-ए-शब में कहीं इक्सीर का नुस्ख़ा भी कोई ऐ सुब्ह ये तेरी झोली है या दुनिया भर का सोना है तदबीर के हाथों से गोया तक़दीर का पर्दा उठता है या कुछ भी नहीं या सब कुछ है या मिटी है या सोना है टूटे जो ये बंद-ए-हयात कहीं इस शोर-ओ-शर से नजात मिले माना कि वो दुनिया ऐ 'अफ़सर' सिर्फ़ एक लहद का कोना है