आह ज़ख़्मी है दिल शिकस्ता है हाए आँखों से ख़ूँ बरसता है हो गई हैं लहू लहू साँसें रूह को आ के कोई डसता है आ गया है तो जा नहीं सकता दिल की दुनिया में कोई बस्ता है फ़र्क़ कोई नहीं है दोनों में ज़िंदगी मौत ही का रस्ता है सारी दुनिया में महँगा है पानी ख़ूँ ज़माने में आज सस्ता है लाश अपनी लिए भटकता हूँ जिस्म है रूह को तरसता है एक दिल ही नहीं है ऐ 'तौक़ीर' रूह ज़ख़्मी है जिस्म ख़स्ता है