आईना-ए-निगाह में अक्स-ए-शबाब है By Ghazal << आरज़ू को रूह में ग़म बन क... ज़िंदगी की तेज़ इतनी अब र... >> आईना-ए-निगाह में अक्स-ए-शबाब है दुनिया समझ रही है कि आँखों में ख़्वाब है रोए बग़ैर चारा न रोने की ताब है क्या चीज़ उफ़ ये कैफ़ियत-ए-इज़्तिराब है ऐ सोज़-ए-जाँ-गुदाज़ अभी मैं जवान हूँ ऐ दर्द-ए-ला-इलाज ये उम्र-ए-शबाब है Share on: