आइने की आँख में पत्थर गिरा झील में जैसे कोई कंकर गिरा तोड़ता है जब किसी का दिल कोई लगता है जैसे ख़ुदा का घर गिरा हर तरफ़ फैली सदाओं की महक लफ़्ज़ की तस्वीर से मंज़र गिरा गूँज उट्ठे क़हक़हे अहबाब के चलते चलते खा के जब ठोकर गिरा आज 'जौहर' ख़ार के आग़ोश में नर्म-ओ-नाज़ुक फूल का पैकर गिरा