आइनों के असर में रहते हैं हम तो सब की नज़र में रहते हैं उन निगाहों को ग़ौर से देखो कितने दरिया भँवर में रहते हैं दोस्ती पत्थरों की ठीक नहीं आप शीशे के घर में रहते हैं उन का कुछ भी पता नहीं होता हम हमेशा ख़बर में रहते हैं आँख मंज़िल को देखती है बस पाँव हर दम सफ़र में रहते हैं